🌸 प्रेमचंद का उपन्यास — "गबन" (कहानी के रूप में सारांश)
लेखक: मुंशी प्रेमचंद | प्रकाशन वर्ष: 1931 | शैली: सामाजिक यथार्थवादी उपन्यास
🩵 1. परिचय: मध्यमवर्गीय जीवन की पृष्ठभूमि
“गबन” प्रेमचंद का प्रसिद्ध सामाजिक उपन्यास है जो भारतीय मध्यमवर्गीय जीवन की सच्ची तस्वीर पेश करता है। इसमें दिखाया गया है कि कैसे दिखावे और प्रतिष्ठा की भावना एक सच्चे इंसान को अपराध की ओर धकेल देती है। कहानी के केंद्र में हैं रमानाथ और उनकी पत्नी जालपा, जिनकी जिंदगी सादगी से शुरू होकर लालच की भूलभुलैया में फँस जाती है।
💍 2. जालपा का स्वभाव और गहनों का मोह
जालपा सुंदर, शिक्षित और आत्मसम्मानी स्त्री है, पर उसे गहनों का शौक बहुत है। शादी के समय जब उसे उम्मीद के अनुसार गहने नहीं मिलते, तो वह भीतर से आहत होती है। रमानाथ ईमानदार और सीमित आय वाला व्यक्ति है जो अपनी पत्नी की हर इच्छा पूरी करना चाहता है। लेकिन उसकी आमदनी इस दिखावे की चाह के आगे बहुत छोटी पड़ जाती है।
💠 3. दिखावे की शुरुआत
धीरे-धीरे समाज में प्रतिष्ठा और दिखावे का प्रभाव दोनों के मन में घर कर जाता है। जालपा अपनी सहेलियों के गहने देख कर खुद को अधूरा महसूस करती है। रमानाथ उसकी उदासी देखकर परेशान रहता है और सोचता है कि किसी तरह उसे खुश कर सके। इसी चाह में वह एक गलत रास्ते की ओर बढ़ने लगता है।
💸 4. गबन की पहली चिंगारी
एक दिन रमानाथ को ऑफिस में सरकारी रकम की देखभाल का कार्य मिलता है। वह अपनी पत्नी की इच्छा और अपनी असमर्थता के बीच झूलते हुए थोड़े पैसे “उधार” ले लेता है, यह सोचकर कि जल्द लौटा देगा। लेकिन यही “उधार” आगे चलकर गबन में बदल जाता है।
💎 5. गहनों की खुशी और मन का बोझ
रमानाथ उस पैसे से जालपा के लिए सुंदर गहने बनवाता है। जालपा की आँखों में खुशी झलकती है, लेकिन रमानाथ के मन में अपराधबोध गहराता जाता है। बाहर से वह शांत है, पर भीतर से डर और पछतावे की आग में जल रहा है।
⚖️ 6. सच्चाई का खुलासा
समय के साथ गबन की बात सामने आने लगती है। ऑफिस में जांच शुरू होती है और रमानाथ का अपराध उजागर हो जाता है। शर्म और भय के कारण वह घर छोड़कर भाग जाता है। जब जालपा को सच्चाई पता चलती है, तो वह अंदर तक टूट जाती है और खुद को इस गुनाह की जड़ समझती है।
💔 7. पश्चाताप और संघर्ष
जालपा अब अपने भीतर झाँकती है और समझती है कि असली गहना सोना नहीं, बल्कि ईमानदारी और प्रेम है। वह अपने सारे गहने बेचकर रमानाथ की मदद करने का निर्णय लेती है। उसकी यह यात्रा उसे एक लालची स्त्री से त्यागमयी नारी में बदल देती है।
🌧️ 8. रमानाथ की भटकन
रमानाथ अपराधबोध से भटकता रहता है। वह भागकर भी चैन नहीं पा पाता। हर शहर, हर मोड़ पर उसे अपनी पत्नी की याद और अपने किए पर पछतावा सताता है। अंततः उसका अंतर्मन उसे आत्मसमर्पण की राह दिखाता है।
🌿 9. पुनर्मिलन और सच्चाई की विजय
आख़िरकार रमानाथ और जालपा की मुलाकात होती है। दोनों एक-दूसरे की आँखों में सच्चा प्रेम और पछतावा देखते हैं। जालपा कहती है कि अगर उसे पहले समझ होती तो वह गहनों के लिए रमानाथ को अपराध की ओर न जाने देती। रमेश अपने गुनाह को स्वीकार कर सज़ा भुगतने को तैयार होता है।
🌼 10. उपसंहार — उपन्यास का संदेश
“गबन” यह सिखाता है कि जीवन की असली सुंदरता दिखावे में नहीं, बल्कि सच्चे प्रेम, नैतिकता और आत्मसम्मान में है। प्रेमचंद ने इस उपन्यास के माध्यम से मध्यमवर्गीय समाज की कमजोरी — प्रतिष्ठा और भौतिकता के मोह — को उजागर किया है।
“ईमानदारी ही सबसे बड़ा गहना है — जिसे कोई चुरा नहीं सकता।”
✨ English Summary (Short)
Gaban is a social novel by Munshi Premchand portraying middle-class moral conflict. Ramanath embezzles money to buy jewelry for his wife, Jalpa. When his secret is exposed, he flees in guilt. Jalpa realizes her mistake and redeems herself by selling her jewelry and helping Ramanath. In the end, they reunite and understand that true happiness lies in honesty and love, not in material wealth.


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