Save daughter, Teach daughter.
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ।
Save daughter, Teach daughter - बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ |
मैं सम्मान हूं।
मैं भी एक इंसान हूं।
मैं भविष्य हूं।
मैं वर्तमान हूं।
मैं बेटी हूं।।
बेटी हुं मैं बेटी........ मैं तारा बनुंगी।
तारा बनुंगी, मैं सहारा बनुंगी………।।
बेटी मा-बाप की अँखो का तारा और जीवन का सहारा बनने के लिऐ तैयार है, बल्की वो आज बेटो से ज्यादा माँ-बाप का साथ निभा रही है। आज ऐसा कोई ही बेटा होगा जो अपनी माँ-बाप की सेवा कर रहे हो। आज लड़कियां बडी हॉकर छोटी और बड़ी गाड़ियों के साथ-साथ ट्रेनें भी चलाती है। चाहे वह शिक्षा की लाइन हो या चिकित्सा क्षेत्र, सभी क्षेत्रों में लड़कियां आगे हैं। कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स जैसी महिलाएं अवकाश के क्षेत्र में योगदान दे रही हैं। सीमा पर पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वह दुश्मनो का सामना करती हैं। फिर भी न जाने क्यूं लोग बेटी से ज्यादा बेटो को महत्व देते हैं। बेटो के जन्म से खुश होते है और बेटी जन्म से निराश होते है।
Save daughter, Teach daughter - बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ |
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अगर खाने में केवल एक रोटी ही हो और खाने वाले तीन हो, तो मुझे भूख नहीं है एसा कहनेवाली मा ही होती हैं। वह अपने बच्चों के साथ कभी भी भेदभाव नहीं करती। वह भ्रूण हत्या के लिए कभी तैयार नहीं होती, लेकिन उस पर दबाव डाला जाता है। गर्भ में, अगर बेटी बोल सकती, तो वह कहती..... "मैं जन्म लेना चाहती हूँ माँ ! मैं अपने पापा की उंगली पकड़ कर चलना चाहती हूँ मां ! मैं वो सारे काम कर सकती हूँ जो एक बेटा कर सकता हैं। मुझे जन्म लेने दो मां ! मुझे मत मारो मां ! "।
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दोस्तो -" बेटी है तो कल है।
बेटी है तो सब है।।"
इसलिए - "बेटी बचाओ, देश बचाओ।
बेटी पढ़ाओ, देश बढाओ।।"
इतना याद रखें.........
" जिंदगी भर छोटी ही रहके।
जो सबकी सेवा करती हैं।
वो सिर्फ ' बेटियाँ ही होती हैं।।"
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